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हमारा दुःखी ‘‘छोटू’’

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एक दिन, एक छोटा सा, पाँचवी कक्षा का छात्रा,
अपनी कक्षा में किसी कोने की सीट पर चुप-चाप,
मुँह लटका के बैठा हुआ था। सुबह की प्रार्थना कर
पहली क्लास करने बैठा ही था कि, पीछे से एक
आव़ाज आई, ‘‘बेटा छोटू, तुम्हे क्या हो गया है?’’
वह उसकी कक्षा अध्यापिका ही आव़ाज थी, छोटू
बिना कोई उत्तर दिय चुप-चाप बैठा रहा।
कक्षाअध्यापिका ने उसके दोस्तो से उसके बारे में पूछा, तो पता-चला
कि वह बहुत अकेला है, उसके माता-पिता भी काम पर चले जाते है,
इसलिए वह अकेलेपन का शिकार हो गया है। यह बात सुनकर
अध्यापिका को बहुत दुःख हुआ। वह शाम को अपने घर चली गई जब
रात में उसका पति काम से लौटा तो उसने छोटू का दुःख अपने पति को
बताया। उसका पति बड़े दुःख के साथ बोला कि कैसा अभागा लड़का है,
वह अध्यापिका ने अपनी आव़ाज भारी करते हुए बताया की वह कोई और
नहीं हमारा ही छोटू है।

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