
नई साल की नई उमंगे, नई साल की नई तरंगे।
मीठी-मीठी बातें बोलो, सबके मन मे मिश्री घोलो।
सबके दुःख को दूर भगाओ, खुशियों के तुम दीप जलाओ।
जो लोग है बैठें अंधेरे घर में, जो न है खुद अपनी नजर में,
उनकी मदद करना सही है, क्योंकि उनके मन में कोई आशा
नहीं है, उनके मन में जगाओ आशा, दूर करो तुम उनकी निराशा।
ढ़ूढों एक अनोखी मंजिल, जिससे गूंज उठे ये महफिल।