
ओर नए साल कुछ कर कमाल, जाने वाले को जाने दे।
दिल में अभिनंदन करते हैं, कुछ नई उमंगे आने दे।।
आने- जाने से क्या डरना, ये मौसम आते-जाते हैं।
तन झुलसे शिखर दुपहरी में, कभी बादल भी छा जाते हैं।।
इक वह मौसम भी आता है, जब पत्ते भी गिर जाते हैं।
हर मौसम को मनमीत बना, नवगीत खुशी के गाने दे।।
जो भूल हुई जा भूल उसे, अब आगे भूल सुधार तो कर।
बदले में प्यार मिलेगा भी, पहले औरों से प्यार तो कर।।
फूटेंगे प्यार के नव अंकुर भी, वह जमीं जरा तैयार तो कर।
भले मना खुशी जीत की, पहले हार स्वीकार तो कर।।