
जीवन में आगे बढ़ना हो तो सीखो नदी-पहाड़ों से!
सर्दी-गर्मी-धूप और वर्षा रूकते नहीं ये किसी के कहने से।
कल-कल करती नदियाँ, बहतीं सबको खुशियाँ देती है।
कोई कुछ भी करते रहते, वह किसी को कुछ न कहती है।
अपने काम पर अटल रहा, सदा खड़ा है पर्वत राज।
हवा आँधियाँ तूफाँ आए कभी न हिलता उसका ताज।