
गुरू का महत्व, कभी होगा न कम
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम।
वैसे तो है, इंटरनेट पर हर प्रकार का ज्ञान
पर अच्छे-बुरे की नहीं उसे पहचान।
नहीं है, शब्द कैसे करू धन्यवाद
बस चाहिए हर पल आप सबका आर्शीवाद।
हूँ आज भी जहाँ मै, उसमें है बड़ा योगदान
आप सबका जिन्होंने दिया मुझे इतना ज्ञान।
आपने बनाया है, मुझे इस योग्य,
कि प्राप्त करूँ में अपना लक्ष्य
दिया है हर समय आपने सहारा
जब भी लगा मुझे कि मै हारा।
पर मैं हूँ कितना मतलबी, याद् किया न मैंने आपको कभी
आज करता हूँ दिल से आप सबका सम्मान।
‘‘आप सबको हैं मेरा, शत-शत प्रणाम।’’