आदत

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Sunil

मीकू बंदर उछल-उछलकर, तोड़ रहा था आम। चोरी की आदत से उसकी, दुःखी था मोटाराम।।

तोताराम ने बड़े प्यार से कई बार समझाया, लेकिन वह तो था जिद्दी, नहीं समझ में उसको आया।।

पेड़ के मालिक ने एक दिन, उसकी करी खूब धुनाई। छोड़ चोरी की आदत, वह करने लगा पढ़ाई।

शिक्षा : गलती करने के पश्चात, उसको समझकर तथा आगे उन्हीं गलतियों को न दोहराने की शपथ लेने वाला ही सच्चा मनुष्य हैं

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